बसंत पंचमी
बसंत पंचमी आई है खुशियों की लहरे छायी है इस दिन अवतरित हुई मां सरस्वती कहते है कला, विद्या की देवी मौसम भी है खुश
बसंत पंचमी आई है खुशियों की लहरे छायी है इस दिन अवतरित हुई मां सरस्वती कहते है कला, विद्या की देवी मौसम भी है खुश
रंग गुलाल तुम भेज दिये हैंपरमेरे चेहरे को जो रंग जाए, वोतेरे हाथ कहां से लाऊं मैं,औरमेरा दिल जो चाहे तुझे रंगने कोतेरे गाल कहां
हर रंग में तू ही तू हैवो कौन जगह जहां तू नहीं,भोर की लाली में तुमरंग हरा बन, हरियाली में तुम,चांद से चमकीलेतुम सूरज से
बेरंग से रंग ढूंढने, बाज़ार में न जाएअपनों की प्रीतरंग, घुल मिल जाए,और होली की रौनक बढ़ाए… हर सुबह फिर गुलाबी होगीहर शाम फिर इन्द्रधनुष
वसंत आया, वसंत आया मच रहा चहुँ ओर शोर है आश्चर्यचकित हूँ मन की अवस्था को देखकर…. शांति में डूबा है या हो रहा आनंद
चहक रहा हो तन मन सारा,महक रहा हो उपवन सारा ,पतझड़ के जब छा जाये बादलबसंत ऋतु का हो उजियारा । कोयल कुहू – कुहू
कौन रंग फागुन रंगे, रंगे भऐं सब प्रीत, बसंत रंग सब रंग रखा, धरा हुई सब प्रीत । नीला अंबर रंग दिया, धरा हुई रंगीन
गोपियों संग कृष्ण ने रास रचाया, झूम झूम के “मधुमास” है ,आया। रंग गुलाल की उड़ रही फुहार, प्रकृति ने भी साथ निभाया। नई-नई कोपल,
इस बार की होली हर बार से नायब होगी, इस बार की होली हर बार से नायब होगी, हर रिश्ते में प्रेम के सतरंग पिरोयेगी,
होली आई रे होली आयी, रगों की बौछार लायी। मौसम ने ली अंगङाई,होली खुशियों की सौगात लायी।। शीत ऋतु ने ली है विदाई,ग्रीष्म की आहट