
लोगों का काम है कहना
अक्सर ये होता है,लिखने वाला लिखता अपने दिल कि है,चाहे उसके अनुभव हो, या उसने कहीं देखा हो,चाहे उसके मन कि पीड़ा हो, ख़ुशी हो,या

अक्सर ये होता है,लिखने वाला लिखता अपने दिल कि है,चाहे उसके अनुभव हो, या उसने कहीं देखा हो,चाहे उसके मन कि पीड़ा हो, ख़ुशी हो,या

देश दुनिया में कभी संक्रमण तो,कभी आतंक का प्रहार हुआ।कई आपदाएं सर उठाकर कुचलने को तैयार हुआ।कभी चक्रवात(साइक्लोन), कभी भूकंप,कभी भूस्खलन तो कभी कुछ और।फिर

घरनी मुझसे रूठकर, चली गई ससुराल। गया बुलाने एक दिन, आगे सुनिए हाल। आगे सुनिए हाल, सामने साली आई। अनुपम शिष्टाचार, साथ में लिए मिठाई।

सड़ चुके किचड़ में हीकमल के फूल निकलती है,ये खुशी का इजहार न कर,ये खुशियाँ तकलीफ से निकलती है। वो दिखते बहुत खुशहाल हैपर अंदर

दिलों में जिनके हूं अब तक दिलों में उनको रखूंगान निकलूंगा कभी दिल से निकलने उनको ना दूंगाचुराया दिल मेरा जिसने उसी का दिल चुराऊगासदा

झूठ मूठ के बहकावे सेदिल को अपने बचा के रखनाबहुत कठिन होती ये डगर हैकदम को अपने संभाल रखनातपन फिजाओं में अब बहुत हैंघुटन अंधेरे

भगाएं सभी सूनापन जिंदगी काचलो आज मिलकर के हम खेलते हैंये जीवन भी बन जाए सबका सुहानाचलो आज ऐसा जतन ढूढते है दिलों को दिमागो

बाहर से टूट भले जाओ पर अंदर से मजबूत रहोबल पौरूष कुछ घट जाए पर दिल इच्छा बलवान रहोटूट गये जो अंदर से तो बचा

डाल में बैठी चार गौरैया मंथन करती विषय अनेक कहां जाएं राहें तकें अनेक कहीं और है उनको जाना सारा जग है जाना पहचाना मंथन

गन्ना कै रस आवत होई डेउढी का महकावत होई लिहा गिलासी छोटका बबुआ गझिनै दहिउ मिलावत होई सुधि चैती बइसाख कै आवै दांत लड़कपन कै