कविता

Category: कविता

कविता

चांदनी रात

चांदनी रात है पर ओ ठंडक नहींसाथ मेरे तो हैं पर ओ रौनक नहींआज मन में अंधेरा ही छाया हुआसूर्य की रोशनी है पर जगमग

विस्तार से पढ़ें »
कविता

सावन तुम फिर कब आओगे

सावन तुम फिर कब आओगेशुष्क हृदय में कब छाओगेफूल खिलेंगे दिल में कब तकगुलशन बन कब महाकाओगेसावन तुम फिर कब आओगेदिल की बगिया सूख रही

विस्तार से पढ़ें »
कविता

ब्रज की रज

रज-रज में बसे चरण तुम्हारे ब्रज में, भूल जाऊं खुद को मैं लोट जाऊं रज में, स्वर्ग से सुंदर हर वन-उपवन ब्रज का है, जब

विस्तार से पढ़ें »
कविता

प्रथम चरण बन जाओ

भाव में डूब कहता, दिल के द्वार आ जाओ खुले प्रतीक्षा में पट ,स्वास्तिक बना जाओ तुम्हारी याद में, डूबी छलकती हैं आंखें भरे हुए

विस्तार से पढ़ें »
कविता

भूल को सुधार ले

आओ आज जिंदगी की भूल हम सुधार लेजो भरा है द्वेष मन में आज हम निकाल देसब की मुस्कुराहटों पे आज दिल निसार देकलियां जो

विस्तार से पढ़ें »
Total View
error: Content is protected !!