
चांदनी रात
चांदनी रात है पर ओ ठंडक नहींसाथ मेरे तो हैं पर ओ रौनक नहींआज मन में अंधेरा ही छाया हुआसूर्य की रोशनी है पर जगमग
चांदनी रात है पर ओ ठंडक नहींसाथ मेरे तो हैं पर ओ रौनक नहींआज मन में अंधेरा ही छाया हुआसूर्य की रोशनी है पर जगमग
सावन तुम फिर कब आओगेशुष्क हृदय में कब छाओगेफूल खिलेंगे दिल में कब तकगुलशन बन कब महाकाओगेसावन तुम फिर कब आओगेदिल की बगिया सूख रही
आंखों में प्यार लिए, होंठो पे मुस्कान लिएभाव में भरी हुई, वो पास चली आती हैंअंजन की धार लिए ,आंख में कटार लिएसादगी का करके,
रज-रज में बसे चरण तुम्हारे ब्रज में, भूल जाऊं खुद को मैं लोट जाऊं रज में, स्वर्ग से सुंदर हर वन-उपवन ब्रज का है, जब
समय के साथ बदल रहा सोच अब इज्जत नहीं पैसों पर जोर जो नकारता दुनिया समझती तेज नहीं भोंदू व्यंग्य से कहती जब सोच ही
समाज अब समाज नहीं रह गया है यह तो सजावट का एक बाजार बन गया है चारों ओर चकाचौंध का हथियार बन गया है रंगबिरंगे
भाव में डूब कहता, दिल के द्वार आ जाओ खुले प्रतीक्षा में पट ,स्वास्तिक बना जाओ तुम्हारी याद में, डूबी छलकती हैं आंखें भरे हुए
रूठ गयी हैं खुशियां सारी रूठा है संसार कोई तो करता मुझसे प्यार कोई तो करता मुझसे प्यार रिश्ते नाते सब सपने थे कहने को
काश कभी ऐसा हो जाताभाव दिलों का जग जातातू मेरी स्मृतियों में औरमैं तेरी में बस जाता राजा बनने की ख्वाहिश कामलाल कभी ना रह
आओ आज जिंदगी की भूल हम सुधार लेजो भरा है द्वेष मन में आज हम निकाल देसब की मुस्कुराहटों पे आज दिल निसार देकलियां जो