
सम्हालो
ये रंगीन कागज़ के रिश्ते सम्हालो ।तुम अपनी वफ़ाओं के तिनके सम्हालो । महकने से पहले कहीं झर न जायें ।मुहब्बत के मासूम गुंचे सम्हालो
ये रंगीन कागज़ के रिश्ते सम्हालो ।तुम अपनी वफ़ाओं के तिनके सम्हालो । महकने से पहले कहीं झर न जायें ।मुहब्बत के मासूम गुंचे सम्हालो
हम से मुँह फेर कर चाँदनी जा चुकी ।जी रहे हैं मगर ज़िन्दगी जा चुकी । फूल सारे चमन के उसे दे दिए ।इन हवाओं
इसी तस्वीर के कदमों में दिल रख दूं ,अगर कह दो ।तुम्हे अपनी मुहब्बत का ख़ुदा मानूं , अगर कह दो । तराशे लब, हसीं
जीवन पुष्पों की पंखुड़ी जैसी नहीं होती,यंत्रणा देने वाली कांटे, चुभती रहती है।मृत्यु की सेज में जो जाना भी चाहों,न जाने क्यों, ज़िंदगी और लंबी
महलों से आती आवाज़ें राजाओं के महल शांति के प्रतीक नहीं हैं खून के छींटों से निर्मित हैं कितने ही कर लगाये गयें होंगे आवाम
वो बचपन और माँ का प्यार, बाबुल का आँगन और वो दुलार। पापा से पैसे की ज़िद करना, माँ का हर बात पर समझाना। स्कूल
अंहिसा का पुजारी चला गया हिंसा से तड़फकर “हे राम” प्रतिध्वनि के साथ छोड़ गया ….एक गर्मागर्म आज़ादी एक तनी निडर लाठी एक नमक के
संकल्प की शक्ति अपार, मन के भीतर बहती धार। जीवन की हर कठिन घड़ी में, संकल्प बने दीपक की ज्योति। हर मुश्किल को सरल बना
बेटियां, चंचल, कोमल, प्यारी सी, घर के आंगन को मेहकाती, फुलवारी सी। चहकती रहती है घर में दिन भर, गौरैया जैसी प्यारी सी। मत छीनो
स्वच्छता है धर्म हमारा, इससे बनता जीवन सारा। घर हो या गलियाँ, साफ रखो, गंदगी को सबसे दूर करो। नदियों में कचरा मत डालो, प्रकृति