पद्य-रचनाएँ

Category: पद्य-रचनाएँ

गज़ल

सम्हालो

ये रंगीन कागज़ के रिश्ते सम्हालो ।तुम अपनी वफ़ाओं के तिनके सम्हालो । महकने से पहले कहीं झर न जायें ।मुहब्बत के मासूम गुंचे सम्हालो

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गज़ल

ग़ज़ल:-अगर कह दो

इसी तस्वीर के कदमों में दिल रख दूं ,अगर कह दो ।तुम्हे अपनी मुहब्बत का ख़ुदा मानूं , अगर कह दो । तराशे लब, हसीं

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कविता

जीवन

जीवन पुष्पों की पंखुड़ी जैसी नहीं होती,यंत्रणा देने वाली कांटे, चुभती रहती है।मृत्यु की सेज में जो जाना भी चाहों,न जाने क्यों, ज़िंदगी और लंबी

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कविता

बेटियां

बेटियां, चंचल, कोमल, प्यारी सी, घर के आंगन को मेहकाती, फुलवारी सी। चहकती रहती है घर में दिन भर, गौरैया जैसी प्यारी सी। मत छीनो

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