पद्य-रचनाएँ

Category: पद्य-रचनाएँ

कविता

मंचों का किरदार हूं

कलम का पुजारी, मनमौजी फनकार हूं।साधक हूं शारदे का, वाणी की झंकार हूं। शब्दों की माला बुनता, कोई कलमकार हूं।गीतों की लड़ियों में, सुर छेड़ती

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गज़ल

ग़ज़ल:-तुम्हारी यादों की रोशनी में

तुम्हारी यादों की रोशनी में सफ़र ज़िंदगी का तय करेंगेजहाँ कहोगी वहीं पे ख़ुद को तुम्हारे में हम बिलय करेंगे रहेंगे बन के तुम्हारा साया

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गज़ल

ग़ज़ल:-दीवारो-दर से जिसकी सदा गूँजती रही

दीवारो-दर से जिसकी सदा गूँजती रहीमेरी निगाह घर में उसे ढूँढती रही अहसास था ख़याल तसव्वुर यक़ीन थाकिस किस लिबास में वो मुझे पूजती रही

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गज़ल

ग़ज़ल:-दुल्हन न बन सकी कभी ख़ुद की निगाह में

दुल्हन न बन सकी कभी ख़ुद की निगाह मेंजो भी मिला वो ले गया ख़्वाबों की राह में छोड़ा है मुझको लाके कहाँ मेरे मेहरबाँक्या

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गज़ल

ग़ज़ल:-साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिए

साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिएशामे-ग़म का धुँधलका हटा दीजिए ग़म के सागर में डूबे न दिल का जहाँनाख़ुदा कश्ती साहिल पे ला दीजिए एक मुद्दत

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