मेरी गजलों में तेरे गुनाहों का हिसाब होगा
मेरी गजलों में तेरे गुनाहों का हिसाब होगा।दर्द मेरे जख्मों का होगा तेरा अल्फाज होगा।।तेरी बेवफाई पर कई सवाल उठेंगे ।भरी महफिल में मैं तुझे
मेरी गजलों में तेरे गुनाहों का हिसाब होगा।दर्द मेरे जख्मों का होगा तेरा अल्फाज होगा।।तेरी बेवफाई पर कई सवाल उठेंगे ।भरी महफिल में मैं तुझे
मैं अपनी दुनिया सौंप दूं तेरे हाथों में।मिटा तो ना दोगे तुम।।अगर इजहार कर दूं अपनी मुहब्बत का।तमाशा बना तो ना दोगे तुम।।जख्म कई लिए
निगाहें वहां पर हो जहां होंसले पस्त होते हैं।चिराग वहां जलाओ जहां सूरज अस्त होते हैं।।क्या लेना दुनियादारी की चापलूसी से।जो साफ दिल होते हैं
दीये से जलते हैं खुद औरों को राह दिखाई है,तब जाकर कहीं हमने गुरु की उपाधि पाई है।सही गलत बच्चों को समझाया है,हमने हमेशा एक
लिखा जो एक साथ नाम रेत पर।किसी लहर ने आन मिटाया होगा।।तेरी गहरी सी इन आंखों में कोई गैर खूब नहाया होगाबता मेरे बिन इनमें
जिन्हें अपना समझ रखा था सारे गैर निकलेजो दबा के रखा था दिल में सुकून की तरहवह सारे ख्वाब जहर निकलेहमें वफा मिली गांव की
आंखों की भी अब अपनी मर्जी होने लगी है ।बात खुशी की हो या गम की हर बात पर रोने लगी है ।।सूरज ढला चांद
पूजित सदा जगत में नारीसृष्टि सृजन की प्रथमा अधिकारीचंद्रयान आकाश उड़ातीअपने साहस का परचम लहरातीशोभा इनकी सबसे न्यारीसृष्टि सृजन की प्रथमा अधिकारीइनका ना था इतिहास