आसमा जब अहम का झुक जाएगा
आसमा जब अहम का झुक जाएगा मैं ही सब कुछ हूं जेहन पनप जाएगा तब अहम का नशा दिल में छा जाएगा देगा कुछ भी
आसमा जब अहम का झुक जाएगा मैं ही सब कुछ हूं जेहन पनप जाएगा तब अहम का नशा दिल में छा जाएगा देगा कुछ भी
दौर मुसीबत कर्मों का फलईश्वर पर ही छोड़ दोउम्मीद नहीं संसार सेकेवल ईश्वर से ही जोड़ लोतेरे हर प्रश्नों का उत्तरखुद से ही मिल जाएगाकरके
आज सुबह जब मैं अपनी दुकान की सफाई कर रहा था तो, अचानक मेरे मन में एक प्रसंग याद आया लोग कहते हैं कि जब
जो मेरे सामने आओ तो दिल की बात हो तुमसेभरा जो प्यार है दिल मे कभी इजहार हो तुमसेअकेलेपन का जीवन भी कोई जीवन नहीं
मजहब के रंग में रंगा हुआ जो पूरा देश है आजतो कैसे सुधरेगे हालातलूट के अपने देश की दौलत खुद बनते धनवानतो कैसे सुधरेंगे हालातसब्र
है प्रकृति का संवरना तो सबके लिएलाभदायक है पूरे जगत के लिएआओ सिंगार मिलकर प्रकृति का करेंबिखरी आभा प्रकृति की तो सबके लिएचांदनी रात शीतल
जो राह तेरे ही दर पे जाए उसी पे हरदम कदम रखूंगासदा ही जीवन बना के निर्मल पुष्प कमल सा खिला करूगाकभी चुभूगा न शूल
त्याग प्रेम दिल भरा तो सब ही अपने हो गएचल के कर्म पथ पे हम इतिहास अपना गढ गयेहौसले बढ़ाके अपने हम शिखर पे चढ़
अब तो चेहरे पर आफताब नहीं दिखता हैसुर्ख गालों पर अब गुलाब नहीं दिखता हैमन की कुंठा में ही सब लोग सने बैठे हैंसब में
प्रेम दिलों में जगा है जबसे दर्द दिलों का बढा है तबसेओ जब से समझा है प्यार मेरा मजा है जीने में और तब सेदिलों