कविताएँ
मैंने कविताओं को मरते देखा।उस वक्त देखा,जब यह अन्याय के खिलाफ लिखने की सोचती है ।हजारों बार तो यह रात कोसिरहाने बैठकर घंटों तक रोती
मैंने कविताओं को मरते देखा।उस वक्त देखा,जब यह अन्याय के खिलाफ लिखने की सोचती है ।हजारों बार तो यह रात कोसिरहाने बैठकर घंटों तक रोती
प्यार करते हो जताने की ज़रूरत क्या हैहम पे मरते हो दिखाने की ज़रूरत क्या है हम तो ऑंखों से नशा कर ही चुके हैं
लोरियाँ सुनने की इच्छा जागृत जब भी हुई,तब हमें रोटियों की भूख सताती रही।हमें चॉंद दिखाकर लोरियाँ मत सुनाओ,हमें आवश्यकता है सुरज ढलते ही रोटियों
यदि तुम्हें बीज मेंवृक्ष दिखाई देता है,तो तुम्हें चलते रहना चाहिए। तुम्हारे रास्ते में देहशंकु की भांतिकुछ ऐसी बाधाएं भी आएगी,जो तुम्हें विचलित कर देगी,मगर