गिरिराज पांडे
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गिरिराज पांडे

गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

इंद्रधनुषी नाव

आसमा पर इंद्रधनुषी नाव अब चलने लगीखो ना जाए आसमां में सोचकर डरने लगीबैगनी थे यात्री उस पर श्वेत खेवनहार थाचल रही थी जिस जगह

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प्रेम का बीज

प्रेम का बीज बोया था जो भी यहावो ह्र्दय खेत मे अंकुरित हो गयाअब फसल प्रेम की लहलहाने लगीसारा जीवन मेरा प्रेम मय हो गयादेखा

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तुम्हारे बिन गुजारे है

गुजारा है अकेला पन तुम्हारे दूर रहने सेमगर तू ना समझ पाए तेरी कितनी जरूरत हैमैं जीवन जी के भी जीवन सा जीवन जी नही

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दिल के फूल

उसके भावो में जो डूबा एक कली सी खिल गईरंग रूप से ही उसके खुशबू अब बिखर गईतोड़ ना ले जाए दूजा कोई उसको बाग

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प्रेम में ही तृप्ति है

घिर के सावन में बदरिया प्रेम जल बरसा रहीभीग जाए सबका तन मन भाव ये दर्शा रहीजब चमकती है ये बिजली गर्जना नभ हो रहीप्रकृति

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सबके दिल को ही शीतल करू मै

अब न रहना मुझे कैद होकरअब परिंदों की जैसे उडू मैना सिमट जाऊं मैं पिजड़े में हीउड़ान अब आसमां तक भरू मैचीज जितनी निराली जगत

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देखो सावन आया है

आसमान घिर गयी बदरियादेखो सावन आया हैझूले पड़ गए डाल-डालकोयल ने गीत सुनाया हैउपवन खिला-खिली धरतीचहुओर खुशी ही छाई हैघास फूस संग पुष्प खिलेछाई धरती

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छाया हो जगत में

आज हम जलाएं प्रेम दीपक दिल के द्वारजिससे प्रकाशित हो ये पूरा संसारजग में अधेरा ना अज्ञानता का वाससब के दिलों में भरे प्रेम का

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