प्रथम चरण बन जाओ
भाव में डूब कहता, दिल के द्वार आ जाओ खुले प्रतीक्षा में पट ,स्वास्तिक बना जाओ तुम्हारी याद में, डूबी छलकती हैं आंखें भरे हुए
भाव में डूब कहता, दिल के द्वार आ जाओ खुले प्रतीक्षा में पट ,स्वास्तिक बना जाओ तुम्हारी याद में, डूबी छलकती हैं आंखें भरे हुए
काश कभी ऐसा हो जाताभाव दिलों का जग जातातू मेरी स्मृतियों में औरमैं तेरी में बस जाता राजा बनने की ख्वाहिश कामलाल कभी ना रह
आओ आज जिंदगी की भूल हम सुधार लेजो भरा है द्वेष मन में आज हम निकाल देसब की मुस्कुराहटों पे आज दिल निसार देकलियां जो
कीमती अश्क कभी आंख से जो छलकेगाडूब कर भाव में दिल से सदा नहा लूंगाबिखेर करके खुशबू रात सजा शबनम कीजला के दीप प्रेम दिल
तुम्हारे कर्म शामिल थे तुम्हारे गगन छूने मेंमहज एक भाग्य तेरा था ना तुझको पंख देने मेंजमी तैयार की थी जब तुम्हारे कर्म फूलों कीतभी
गुरु है सरलता में गुरु है प्रखरता मेंज्ञान गंगा गुरु का ही पावन फुहार हैगुरु का ही ज्ञान इस जगत में छाया हुआगुरु से प्रकाशित
हुआ जन्म था जेल में उनका नंद बबा ने पाला थासो गए पहरेदार वहां के खुला गेट का ताला थाकाली रात अंधेरी में तो जमुना
जगत की शान है हिंदी मेरा अभिमान है हिंदीहमारी मातृभाषा देश की पहचान है हिंदीहुआ है जन्म संस्कृत से संस्कृति की जो पोषक हैभरा जिसमें
सुत गौरी शिव शंकर शोभित रिद्धि सिद्धि साथ लिएबढ़कर मात पिता है जग में कहकर चारों ओर फिरेआज चतुर्थी जन्मदिवस की जो अनुपम बेला आईनिश
मिलाकर नैनो से नैनाकरो बातें तो हम जानेना हो ओठो पे कंपनमौन दो उत्तर तो हम जानेसमझ कर मन की पीड़ा कोबहावो प्रेम की नदियांभरा