हवा के शोर में संगीत सुनना छोड़ दूँ क्या ?
जख्म है दिल में, तो जीना छोड़ दूँ क्या ?
बेवफ़ाई तेरा फन , जो तुमने मुझसे निभाई है,
उस्ताद मैं भी वफ़ा का, बता अपना फन छोड़ दूँ क्या ?
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स्नातकोत्तर(हिन्दी) सम्प्रति- शिक्षक (हिन्दी) के रूप में सीतामढ़ी,बिहार में कार्यरत|Copyright@प्रभात रंजन चौधरी इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |