फासला ना हो कभी भी दिल से दिल के मेल का
एहसास का हो फासला ना हो कभी उम्मीद का
हम संभलते ही रहेंगे जिंदगी के मोड़ पर
हौसले का हो कभी ना फासला हो लक्ष्य का
हम भले ही चूम ले इन आसमानों के शिखर
पर कभी ना फासला हो जन्म की इस भूमि का
शौक से जिसने सवारा जिंदगी को है मेरे
खुशियों की बूंदों से हो फासला ना आख का
उठके गिरना गिर के उठना ही जगत की रीत है
हो उमडती भावना में फासला ना जीत का
जब खुशी का दिन ढले और गम भरी ये रात हो
सहनशक्ति से कभी हो फासला ना ज्योति का
हर जगह खुशियां बिखर जाएगी तेरे भाव से
रिश्तो में मिश्री धुले गर फासला हो स्वार्थ का
मैं तो कहता हूं सदा अच्छा नहीं है फासला
फासला दिन का भले हो ना कभी हो रात का
दिल मेरा जो आज कहता ध्यान उस पर दीजिए
बात मानो या ना मानो फैसला है आपका
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