होली पर हर रंग प्रहलाद है

होली पर हर रंग प्रहलाद है

बुराइयाँ जला दें तो मिलता प्रहलाद सा प्रसाद है

साल के अंत में होली का आना

बुराइयां जलवाकर रंग देते जाना

जिंदगी में नये साल की रंगों से शुरुआत है

मिट कर भी वरदान कुछ दे ही जाते है

होलिका के दहन से रंग सजते जाते हैँ

आनंद का वक़्त है वक्त में जज़्बात है

जज्बातों की छटनी भी देखो अकस्मात है

नास्तिकता जलाकर आस्तिकता प्रसाद है

होली पर हर रंग प्रहलाद है

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रचनाकार

Author

  • विष्णु "सरहदे"

    पता :शॉप नंबर 6 "A" मार्किट,सेक्टर 4, भिलाई, पिन -490001. दुर्ग, छत्तीसगढ़, फ़ोन-7828112047. Copyright@विष्णु "सरहदे"/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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