हर दुआ मे वो ज़माना चाहता हूँ
हर दुआ में वो ज़माना चाहता हूँ
फिर वही मिलना मिलाना चाहता हूँ
मिल सके परछाइयाँ एहसास की
रोशनी का वो ज़़माना चाहता हूँ
देख लो तुम ये नया चेहरा मेरा
आईना में वह दिखाना चाहता हूं
जो तुम्हें इंसानियत का इल्म दे
प्यार का वो घर बसाना चाहता हूँ
नज़्म सी नाज़ुक तुम्हारी शक्ल हो
आज मैं फिर गुनगुनाना चाहता हूँ
फिर मैं खो जाऊँ किसी फरियाद सा
इसलिए मैं पास आना चाहता हूं
इश्क़ के जख़्मों से दामन भर गया
इसलिए बस दोस्ताना चाहता हूँ
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