हर दर पर सर झुके ये मुझे मंजूर नही है
मेरे माँ से खुबसूरत जन्नत के हूर नही है
मिली है मंजिल मुझे मेरे माँ के दुआओ से
मेरे माँ से बढकर जँहा मे कोई रसूल नही है
लगे है दाग दामन पर और आईना दिखाते है
इस जँहा मे कोई भी यँहा पर मखदूम नही है
अदावत नही रखता रौशन सफर मे किसी से
मगर राहे इश्क मे रंजिशे मुझे मकबूल नही है
मुस्कुराता है खुदा के चरणो मे लगकर गेंदा
साकी के मयखाने मे सजे ये वो फुल नही है
शोहरते इज्जते मिली है मेरे रब के इनायत से
इस सफर मे किसी गैर की दुआ कबूल नही है
चाहत है नजरे इनायत रहे सब पर खुदा की
किसी को रूला कर हँसना मेरा ऊसूल नही है
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