हमका बस पियार चाही(अवधी कविता)

पैसा सोना चांदी टीवी फ्रिज ना हमका कार चाही।
मिलय मेहरूवा सीधी साधी सुन्दर व्यवहार चाही।।
मानय हमका लरिका जस अस हमका ससुरार चाही।
सालिक मानी बहीनी जस हम भाई जस सार चाही।।
हमरे बाप महतारिक अपन मानय मेहरूवक विचार चाही।
टीवी फ्रिज सब कबाड़ हय हमका बस पियार चाही।।
जिदंगी भर साथ देय हमार खुशियन कय संसार चाही।
मानय हमका जान से जादा हमका एक बस नार चाही।।
दहेज हय दुश्मन समाज कय हमका अस विचार चाही।
हमरे सुख दुःख मा साथ देयक हरदम तयार चाही।।
सास ससुर से कन्यादान मा बिटियक उपहार चाही।
देहिम हमरे ताकत हय न दोसरेक घर बार चाही।।
दया प्रेम सेवा मन मा मेहरूवक अस विचार चाही।
मानय हमका अपने लरिका जस अस ससुरार चाही।।
हमहुं जाई हमका बोलावे खुशियन कय त्यौहार चाही।
होली देवारी गुड़िया भौंरी मास दारुक ना आहार चाही।।
मेहरूवक मन मा दया होय जिव खातिर अस विचार चाही।
दुई घर बनय एक परिवार हमका अस ससुरार चाही।।

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रचनाकार

Author

  • आनन्द गिरि मायालु

    (कवि, लेखक, पत्रकार, समाजसेवी एवं रेडियो उद्घोषक) शिक्षा : स्नातक पेशा : नौकरी रुचि : लेखन, पत्रकारिता तथा समाजसेवा देश विदेश की दर्जनों पत्र पत्रिका में कविता, लेख तथा कहानी प्रकाशित। आकाशवाणी लखनऊ, नेपाल टेलीविजन तथा विभिन्न एफएम चैनल से अंतर्वाता तथा कविताए प्रसारित। भारत तथा नेपाल की तमाम साहित्यिक संस्थाओं से सम्मान तथा पुरुस्कार प्राप्त। पता : करमोहना, वार्ड नंबर 3, जानकी गांवपालिका, बांके (लुम्बिनी प्रदेश) नेपाल।Copyright@आनन्द गिरि मायालु/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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