हमक़दम, हमदम न होगा
हौसला पर कम न होगा ।
उजाला मद्धम न होगा ।
बालिए विश्वास – दीपक
संशयों का तम न होगा ।
आँसुओं से नहा डालें
मगर, पत्थर नम न होगा ।
वक़्त देता जख़्म भी पर
वक़्त-सा मरहम न होगा ।
आज हमने जी लिया है
हमें कल का ग़म न होगा ।
वो ग़ज़ल क्या ग़ज़ल जिसमें
दर्द का सरगम न होगा !
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