हजार खूबियां देखी कमी वफा देखा

उसकी आंखों में मैंने उठता वो मंजर देखा
घाव दिल में बनाते आंख का खंजर देखा
करके तिरछी निगाहे ओठ पे मुस्कान लिए
खिलते महलो को बनाते हुए खंडहर देखा
प्रेम दर्शाके सितारों के जैसी आंखों से
सबके दिल में बनाते उसको अपना घर देखा
दर्द अरमानों का ही दिल में जगाकर सबके
प्यार को दिल में सूफियाना पलते ही देखा
उजाले दिन को और रात चांदनी करती
आंख नाजुक कली में प्रेम की ज्वाला देखा
जिसको पाने को मन में सपने सजाए रहते
रहे ओ ख्वाब हकीकत ना बनते देखा
जिसको देखा भी नहीं अब तलक तो जीभरके
रास्ते बीच मे ही छोड़के जाते देखा
डूबकर नजरें ढूंढती है जिसको भावो मे
दिल में खिलते हुए उस फूल को खोते देखा
खिला ना बाग में पर फूल दिल मे ऐसा खिला
करता मदहोश सबको ही शराब सा देखा
स्याह सी जुल्फ हंसी लब गुलाबी आंखों में
हजार खूबियां देखी कमी वफा देखा

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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