उसकी आंखों में मैंने उठता वो मंजर देखा
घाव दिल में बनाते आंख का खंजर देखा
करके तिरछी निगाहे ओठ पे मुस्कान लिए
खिलते महलो को बनाते हुए खंडहर देखा
प्रेम दर्शाके सितारों के जैसी आंखों से
सबके दिल में बनाते उसको अपना घर देखा
दर्द अरमानों का ही दिल में जगाकर सबके
प्यार को दिल में सूफियाना पलते ही देखा
उजाले दिन को और रात चांदनी करती
आंख नाजुक कली में प्रेम की ज्वाला देखा
जिसको पाने को मन में सपने सजाए रहते
रहे ओ ख्वाब हकीकत ना बनते देखा
जिसको देखा भी नहीं अब तलक तो जीभरके
रास्ते बीच मे ही छोड़के जाते देखा
डूबकर नजरें ढूंढती है जिसको भावो मे
दिल में खिलते हुए उस फूल को खोते देखा
खिला ना बाग में पर फूल दिल मे ऐसा खिला
करता मदहोश सबको ही शराब सा देखा
स्याह सी जुल्फ हंसी लब गुलाबी आंखों में
हजार खूबियां देखी कमी वफा देखा
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