जिंदगी के सफर में यूं ही घूमता हूं
हवाओं के संग में ही मैं झूमता हूं
वादियां जो प्रकृति की प्रफुल्लित खिली हैं
उसी में ही जीवन का रस ढूंढता हूं
कभी कम ना हो इन हवाओं की खुशबू
हवाओं में मीठा ही रस घोलता हूं
प्रकृति भी प्रफुल्लित होकर जो हस दे
उसी में जगत की खुशी देखता हूं
जीवन में संभावनाएं बहुत हैं
प्रकृति में ही जीवन बसा देखता हूं
कभी कम ना हो जाए रिश्तो की खुशबू
सदा रिश्तो में मीठा रस घोलता हूं
पनपे न खुशबू कभी स्वार्थ की अब
प्रेम की खुशबू सबमे भरा चाहता हूं
जीवन में हरदम शिखर पर मैं बैठू
यही सोच कर आसमां चूमता हू
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