अब तो चेहरे पर आफताब नहीं दिखता है
सुर्ख गालों पर अब गुलाब नहीं दिखता है
मन की कुंठा में ही सब लोग सने बैठे हैं
सब में भर जाए प्रेम भाव नहीं दिखता है
सदा ही सुर्खियों में अब सभी रहना चाहे
दिलों में रहने का जज्बात नहीं दिखता है
पानी भी अब तो यहा खून से महंगा हुआ
भरा है जोश सबमें सब्र नहीं दिखता है
भाव शीतल हो जाए प्रेम ही फले फूले
फूल खिलता न दिल बंजर सा ही दिखता है
अहम भरा हुआ है अब तो सबके जेहन मे
भरा उजाला दिल में अब तो नहीं दिखता है
भटक रहे हैं अब तो नौजवान पीकर के
चले किस राह पर ओ राह नहीं दिखता है
हमारी जिंदगी में अब उजाला कैसे हो
दूर तक सोचने की क्षमता नहीं दिखता है
हवा भी ऐसी चली कि शबाब धन का बड़ा
मिला है धन बहुत सुकून नहीं मिलता है
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