सियासत

सियासत

आईना सच कह गया जब राज दरबारो मे
टुकडो टुकडो मे बट गया आज बाजारो मे
राम के अस्तित्व को ही नकारने लगे है लोग
कैसे कैसे लोग बैठे है सत्ता के गलियारो मे
कुछ लोग आज भी है जो मुगलो के वंशज है
पूर्वज उनके चाटुकार थे अकबर के दरबारो मे
कथा कहानी किस्से कहने वालो रामायण को
कितने प्रमाण चाहिए देता हुँ आज अशयारो मे
रहिम रैदास रसखान इसी धरती पर हुये है
राम का प्रमाण मिल जायेगे तुम्हे हजारो मे
मिल जायेगे तुम्हे प्रमाण संतो के चरणो मे
है घनश्याम का डेरा यारो मीरा के नयनो मे
है राम की खुशबू अभी अयोध्या के मिनारो मे
है महक कन्हा की वृन्दावन के गलियारो मे
रामचरित मानस के पध मे राम मिल जायेगे
सुर के पध मे है श्याम देखो तो दिख जायेगे
ना अल्लाह ना राम है मंदिर और मजारो मे
वो तो रहते है दीन हीन गरीब के निगाहो मे

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रचनाकार

Author

  • राजीव रंजन रौशन

    राजीव रंजन रौशन पटना बिहार Copyright@राजीव रंजन रौशन / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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