सब गरीब धनवान हैं , सब धनवान गरीब ।
उल्टी पुलटी चीज़ सब , दुनिया बड़ी अजीब ।
उनकी हालत हो रही , अंतिम समय ख़राब ।
रायबहादुर का जिन्हे , पहले मिला खिताब ।
चल लहरों पे प्रीत की , चल नदिया के पार ।
वहां खुशी के बाग हैं , वहां सुकून अपार ।
मिल जायेगी आपको , प्रसिद्धी की हीर ।
परालोचना छोड़ कर , लम्बी करो लकीर ।
बाहुबली के वास्ते , क्या होटल क्या जेल ।
सरकारें हैं जेब में , कोर्ट कचहरी खेल ।
उसका तन कश्मीर सा , मेघालय से केश ।
उसके चहरे पर बसे , अरुणाचल प्रदेश ।
वक्त लगाएगा आ कर , जब ज़ख्मों पर लेप ।
उतरेगी आकाश से , तब खुशियों की खेप ।
सदाचार बरसा नहीं , अब के पड़ा अकाल ।
चहरे चहरे उग रहे , जलते हुए सवाल ।
मन वन में जब फैलती , राम नाम की गंध ।
प्राण तोड़ देते तभी , सांसों का तटबंध ।
इस जीवन के पार है , बंधन मुक्त समाज ।
वहां इंद्रियां सून हैं , ख़ुद पर ख़ुद का राज ।
कामुक नैना छोड़ते , जब ललचाते तीर ।
मन जा बैठे है तभी , वासनाअं के तीर ।