सब को अपने गले से लगा कर चलो

हर कदम से कदम अब मिला कर चलो
फूल हर जख्म का अब मिटा कर चलो
फिर तो मिल जाएगा तुझको सारा जहा
सब को अपने गले से लगा कर चलो

जिंदगी ये संवर जाए बिखरे नहीं
खलबली दिल में तेरे उठे ना कभी
अपने कर्मों से छू लो भले आसमा
पैर अपना जमी से लगाकर चलो

दिल गिला ना रहे अब किसी बात का
भूलकर शत्रुता दिल मिला कर चलो
मन भरा चोर दिल में ना बैठे कभी
दिल भरा सारा अवगुण मिटा कर चलो

सारा जीवन खुशी में ही बीते तेरा
दिल में अपने उमंगे उठा कर चलो
हर्ष और प्रेम में दिल ये डूबा रहे
भाव ऐसे दिलों मे जगा कर चलो

मिट ये जाए तपन तेरे तन की सभी
धार से धार को अब मिला कर चलो
कीर्ति फैले जगत में तेरे कर्म से
सब की सेवा ही दिल में बसा कर चलो

जिंदगी में कभी भाव ठहरे नहीं
भाव लहरें हमेशा उठा कर चलो
जितना डूबो ओ उतना ही चढता रहे
प्रेम ऐसा दिलों में बसाकर चलो

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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