हर कदम से कदम अब मिला कर चलो
फूल हर जख्म का अब मिटा कर चलो
फिर तो मिल जाएगा तुझको सारा जहा
सब को अपने गले से लगा कर चलो
जिंदगी ये संवर जाए बिखरे नहीं
खलबली दिल में तेरे उठे ना कभी
अपने कर्मों से छू लो भले आसमा
पैर अपना जमी से लगाकर चलो
दिल गिला ना रहे अब किसी बात का
भूलकर शत्रुता दिल मिला कर चलो
मन भरा चोर दिल में ना बैठे कभी
दिल भरा सारा अवगुण मिटा कर चलो
सारा जीवन खुशी में ही बीते तेरा
दिल में अपने उमंगे उठा कर चलो
हर्ष और प्रेम में दिल ये डूबा रहे
भाव ऐसे दिलों मे जगा कर चलो
मिट ये जाए तपन तेरे तन की सभी
धार से धार को अब मिला कर चलो
कीर्ति फैले जगत में तेरे कर्म से
सब की सेवा ही दिल में बसा कर चलो
जिंदगी में कभी भाव ठहरे नहीं
भाव लहरें हमेशा उठा कर चलो
जितना डूबो ओ उतना ही चढता रहे
प्रेम ऐसा दिलों में बसाकर चलो
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