सब्र का अभी तक मेरे इम्तिहान जारी है,
रात में चरागों का इंतजाम जारी है।
रेत के महल में मेरी इक किताब रखी है,
घुल रही स्याही का इन्तकाम जारी है।
देखिये जहाँ पर भी चुप्पियों का जमघट है,
मौन का सभी जगह इंकलाब जारी है।
हर किसी में ठहरा हूँ इक आवाज बनकर मैं,
हर जगह दुआओं में मेरा नाम जारी है।
आजकल परिन्दा भी अब बना शिकारी है,
जंगलों के राजा का ये पयाम जारी है।
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