सब्र का अभी तक मेरे

सब्र का अभी तक मेरे इम्तिहान जारी है,

रात में चरागों का इंतजाम जारी है।

रेत के महल में मेरी इक किताब रखी है,

घुल रही स्याही का इन्तकाम जारी है।

देखिये जहाँ पर भी चुप्पियों का जमघट है,

मौन का सभी जगह इंकलाब जारी है।

हर किसी में ठहरा हूँ इक आवाज बनकर मैं,

हर जगह दुआओं में मेरा नाम जारी है।

आजकल परिन्दा भी अब बना शिकारी है,

जंगलों के राजा का ये पयाम जारी है।

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रचनाकार

Author

  • सूर्यप्रकाश गुप्त

    सूर्यप्रकाश गुप्त जन्मतिथि-05-05-1985 माता का नाम- स्व० राजलक्ष्मी गुप्ता पिता का नाम- श्री भगवानदीन गुप्त जन्मस्थान- बडगांव, मछरिया, ब्लाक-बहुआ, जनपद फतेहपुर, उत्तर प्रदेश पत्राचार- 75, रामनगर कालोनी, शाहजहाँपुर, उ.प्र. शिक्षा- एम.ए.,एम.एड.,यूजीसी नेट,पीएचडी शोधछात्र प्रकाशित पुस्तक: शिक्षा के सामाजिक एवं ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य कार्यवृत्त- रचनाकार स्वतन्त्र रूप से विभिन्न सन्दर्भों में कविताएँ, गीत,गज़ल, कहानियाँ, आदि रचनाएँ लिखते रहते हैं जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होती रहती हैं I वर्तमान में रचनाकार केन्द्रीय विद्यालय संगठन (भारत सरकार) के अंतर्गत शिक्षक के रूप में आयुध वस्त्र निर्माणी शाहजहांपुर में कार्यरत हैं.

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