इस बार की होली हर बार से नायब होगी,
इस बार की होली हर बार से नायब होगी,
हर रिश्ते में प्रेम के सतरंग पिरोयेगी,
झुर्रियां भरे हाथ खिलाएंगे आशीषों की गुजिया ,
भूले बिसरे यारों के मिलनसार से रंगीली गलियां,
ईर्ष्या-जलन त्यागे फाग-स्नेह से सजती सखियाँ,
भाई-बहनों के मिठे रिश्तों से सजती भोग की थालियां,
ननंद -भोजाई के नेह से खिलती गेहूं की बालियां,
भाई-भाई सम्पत्ति-द्वन्द्व त्यागे खेले अबीर-केसरिया,
घर-आँगन में लाड-दुलार से रस भीनी गोपियाँ,
अनुराग के यमुना तीरे कान्हा बजाए बांसुरिया,
लट्ठमार होली के प्रीत रंगों से प्रेमी हुए दंग,
वृद्ध माता-पिता का वात्सल्य लिए संग,
प्रेम-गुलाल से हर रिश्ता हुआ एक रंग,
हर रिश्ता का रंग हुआ अंतरंग,
प्यार-मनुहार से हर रिश्ता रहे सदा सतरंग|
देखे जाने की संख्या : 37