सच को जब हमने समझा तब झूठा भी हमने समझा
देख पराए धन को मैंने कभी नहीं अपना समझा
जिसको जैसा देखा मैंने उसको मैंने वैसा समझा
दिमाग लगाने वालों को तो मैंने हरदम बौना समझा
भौतिकता की दौड़ में अब तो सबको तेज दौड़ता समझा
समझा नहीं ओ रिश्तेदारी जिसने सब कुछ पैसा समझा
मोती उसकी झील सी आंखें हरदम मैंने दरिया समझा
समझ नहीं आया मुझको क्यों झरने को दरिया समझा
मुझे शौक है चुप रहने की सब ने मुझ को गूंगा समझा
जिसको जान से ज्यादा माना उसने मुझसे खतरा समझा
जो भी चीज मिली जीवन मे उसको मैंने अपना समझा
दूर ना हो अब जीवन से वो जिसने हमको अपना समझा
जितना मिला मुझे जीवन में उतने में खुश रहना समझा
लूट के भर ले धन दौलत जो उसको तो मैं पशुता समझा
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