वो जिसके वास्ते जनमों जनम ठहरा रहा होगा
उसी के आने जाने पे कड़ा पहरा रहा होगा
बहारों की ये ख़्वाहिश उसके भी सीने में होगी पर
ख़ुदा ने वास्ते उसके लिखा सहरा रहा होगा
मुहब्बत की कशिश महबूब को ले आयेगी एक दिन
यकीनन उसके दिल में ये भरम गहरा रहा होगा
नहीं पहचान पाया होगा उसकी असलियत शायद
कि उसके चेहरे पे कायम कोई चेहरा रहा होगा
ज़िगर की चोट सह पाया नहीं होगा यकीनन ही
वो शायद इसलिए ही बिन पिये लहरा रहा होगा
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