लगता है अब दहशत कम है।
या योगी को फुर्सत कम है।
बच्चों को ही आगे कर दो,
हाथों में अब पत्थर कम है।
अन्दर जिसके लज्जत कम है।
गद्दारों की गद्दारी को,
जिसने देखा हैरत कम है।
आतंकी हैं जेलों में अब,
लगता उन पर रहमत कम है।
मान रहा है दुश्मन अब तो,
हम लोगों में हिम्मत कम है।
सच को भी सच कहना मुश्किल,
यह भी तो क्या आफ़त कम है।
योगी जी झुक जायेंगे ही,
ऐसी दिखती सूरत कम है।
आज़ ‘अकेला’ ही लड़ने को,
मैं निकला हूं जहमत कम है।
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