लगता है अब दहशत कम है

लगता है अब दहशत कम है।

या योगी को फुर्सत कम है।

बच्चों को ही आगे कर दो,

हाथों में अब पत्थर कम है।

बाज कहां वह आने वाले,

अन्दर जिसके लज्जत कम है।

गद्दारों की गद्दारी को,

जिसने देखा हैरत कम है।

आतंकी हैं जेलों में अब,

लगता उन पर रहमत कम है।

मान रहा है दुश्मन अब तो,

हम लोगों में हिम्मत कम है।

सच को भी सच कहना मुश्किल,

यह भी तो क्या आफ़त कम है।

योगी जी झुक जायेंगे ही,

ऐसी दिखती सूरत कम है।

आज़ ‘अकेला’ ही लड़ने को,

मैं निकला हूं जहमत कम है।

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रचनाकार

Author

  • संतोष सिंह 'अकेला'

    नाम- संतोष सिंह "अकेला" जन्म तिथि- 01-10-1980 पिता का नाम- श्री चन्द्रिका सिंह माता का नाम- श्रीमती सुभावती सिंह शिक्षा- एम. ए., एम. जे., एल एल बी. सम्प्रति- वकालत साहित्य उपलब्धियां- तमाम समाचार पत्र तथा पत्र पत्रिकाओं में कविता और ग़ज़ल प्रकाशित । प्रकाशित पुस्तकें- 1- सदायें मेरे इश्क की (ग़ज़ल संग्रह) 2- मेरी पतवार (काव्य संग्रह) 3- जिन्दगी का सफर (ग़ज़ल संग्रह) 4- दरख्तों के पार (दोहा संग्रह ) 5- ख्यालों के पंक्षी (ग़ज़ल संग्रह)पांच साझा संग्रह में भी ग़ज़ल और कविता का प्रकाशन । स्थाई पता- ग्राम- सिलहटा मुण्डेरा पोस्ट- राजधानी जनपद - गोरखपुर 273202 वर्तमान पता -म.न. 19 इन्दिरा नगर पत्रालय- गोरखपुर विश्वविद्यालय जनपद- गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) 273009सम्पर्क - 9795201300, 8738928184 Copyright@संतोष सिंह 'अकेला'/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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