लंका जलाइए(घनाक्षरी)

रावण दुष्ट पापी नीच अथवा कुकर्मी था,
उसकी वो सजा पाया,उसे भूल जाइए।
आज की दशा को देखो,गली गांव नुक्कड़ में,
उठेगी नजर यदि,रावण ही पाइए।
होती है गलानि अब,सुनो भगवान मेरे,
धरती पे फिर अवतार ले के आइए।
करबद्ध तुमसे निवेदन हे!बजरंग,
आइए इन पापियों की लंका जलाइए।।

Facebook
WhatsApp
Twitter
LinkedIn
Pinterest

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

रचनाकार

Author

  • बजरंगी लाल

    Copyright@बजरंगी लाल / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

Total View
error: Content is protected !!