रायपुर की गलियों में

शहर से घटा बिखरता हुआ
घूम रहा चंचलियों में
आज भी भटक रहा है मेरा दिल
रायपुर की गलियों में ।

छत्तीसगढ़ की राजधानी में
सूरज का तेज निखरता है
दिव्य वायु से सांसों में
खुशबू फूलो का बहता है ।

ढूंढ रहा है अंतरात्मा मेरा
शहर के गुमसुम पहेलियों में
आज भी भटक रहा है मेरा दिल
रायपुर की गलियों में ।

ये शहर जितना विशाल है ,
उतना ही उसका मुस्कान है ,
सिकागो जैसा चकाचौंध दिखता है
अंबर में खुला आसमान है ।

खवाइसें आज भी जीवित है
मेरे आंखे और हथेलियों में
आज भी भटक रहा है मेरा दिल
रायपुर की गलियों में ।।

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रचनाकार

Author

  • नवेंदु कुमार वर्मा

    जिला गया( बिहार) 824205. Copyright@नवेंदु कुमार वर्मा/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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