यौवन की रुत आ गई , रहिए ज़रा सचेत ।
फूलेंगे मन प्राण में , अब सरसों के खेत ।
अभी आप आज़ाद हो , खेलो खुल कर खेल ।
वक्त कसेगा देखना , तुम पर ख़ूब नकेल ।
दुनिया बेगानी लगी , मन हो अगर उदास ।
सब कुछ अपना भासता , प्रेम अगर हो पास ।
इंसानों के बीच में , मज़हब की दीवार ।
सारे शक में मुब्तिला , क्या पनपेगा प्यार ।
ना हम में कोई हुनर , ना कोई तरकीब ।
बैठे हैं बस ओढ़ कर , बिगड़ा हुआ नसीब ।
आग उगलता भास्कर , फिर भी फूले नीम ।
शजर बड़े पुरुषार्थी , धरती बड़ी रहीम ।
ना तो कोई हीन है , ना है कोइ महान ।
अपने अपने कर्म हैं , अपना है अवदान ।
मर्ज़ी है भगवान की , मेरा तेरा मेल ।
वरना इस संसार में , भांत भांत के खेल ।
मंदिर मस्जिद में नहीं , तुम में मुझ में ईश ।
इक दूजे के सामने , आव नबाएं शीश ।
सब रिश्ते हैं प्रेम के , हर रिश्ते में प्रेम ।
प्रेम बिना सब व्यर्थ है , क्यों फिर पूछो क्षेम ।
देख वक्त की त्रासदी , देख समय का फेर ।
राजा भी इस दौर में , करें जिंदगी तेर ।