यौवन की रुत आ गई

यौवन की रुत आ गई , रहिए ज़रा सचेत ।

फूलेंगे मन प्राण में , अब सरसों के खेत ।

अभी आप आज़ाद हो , खेलो खुल कर खेल ।

वक्त कसेगा देखना , तुम पर ख़ूब नकेल ।

दुनिया बेगानी लगी , मन हो अगर उदास ।

सब कुछ अपना भासता , प्रेम अगर हो पास ।

इंसानों के बीच में , मज़हब की दीवार ।

सारे शक में मुब्तिला , क्या पनपेगा प्यार ।

ना हम में कोई हुनर , ना कोई तरकीब ।

बैठे हैं बस ओढ़ कर , बिगड़ा हुआ नसीब ।

आग उगलता भास्कर , फिर भी फूले नीम ।

शजर बड़े पुरुषार्थी , धरती बड़ी रहीम ।

ना तो कोई हीन है , ना है कोइ महान ।

अपने अपने कर्म हैं , अपना है अवदान ।

मर्ज़ी है भगवान की , मेरा तेरा मेल ।

वरना इस संसार में , भांत भांत के खेल ।

मंदिर मस्जिद में नहीं , तुम में मुझ में ईश ।

इक दूजे के सामने , आव नबाएं शीश ।

सब रिश्ते हैं प्रेम के , हर रिश्ते में प्रेम ।

प्रेम बिना सब व्यर्थ है , क्यों फिर पूछो क्षेम ।

देख वक्त की त्रासदी , देख समय का फेर ।

राजा भी इस दौर में , करें जिंदगी तेर ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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