मैं भी तुमको याद करूं और तुम भी मुझको याद करो
प्यासा जीवन रह ना जाए रिमझिम सी बरसात करो
छुपा के रखा प्यार दिलों में कभी बता ना पाया
दिखा दिया आखो ने सब कुछ राज छुपा ना पाया
डूब के भावो से ही दिल में प्रेम का अब संचार करो
मैं भी तुमको याद करूं और तुम भी मुझको याद करो
वह दिन होगा सुखदाई जब मुझसे मिलने आओगे
धधक रही सीने के अंदर आग उसे जो बुझाओगे
बिछड़ के मुझसे दूर हुए क्या याद नहीं आती मेरी
आस लगाए कब तक बैठू देख देख राहे तेरी
हां या ना में उत्तर देकर हाल दिलों का बयां करो
मैं भी तुमको याद करूं और तुम भी मुझको याद करो
भावो में दिल डूब के कहता अब वसंत तुम लाओ
खिल जाए फूलों की वादी ऐसा प्यार जताओ
रह ना सकूंगा तेरे बिना अब इस पर जरा विचारों
भावों में ही डूबके अब तो सपनों में खो जाओ
पाले हैं सपने जो दिल में उसको तो साकार करो
मैं भी तुमको याद करूं और तुम भी मुझको याद करो
रचनाकार
Author
गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |