यादों की बारिश में धुलकर
यादों की बारिश में धुलकर सुबह हुई है रेशम सी
आँखों में एहसास घुले हैं याद घुली है शबनम सी
यादों की इस नर्म धूप में सिंदूरी तन्हाई में
कच्चे पक्के लम्हे बीते सपनीली अँगड़ाई में
यादों की नम सी चादर में शाम घुली है मद्धम सी
आँखों में एहसास घुले हैं याद घुली है शबनम सी
सोंधे -सोंधे सुर मिलते हैं, यादों की पुरवाई में
कोई पंछी आ मिलता है, मुझको इस अंगनाई में
धुँधलाई अलसाई साँझें, आज मिली है रोशन सी
आँखों में एहसास घुले हैं याद घुली है शबनम सी
रुकते चलते मौसम बीता, यादों की रानाई में
कभी चाँद की पेशानी पर था, कभी मिला शहनाई में
धुँआ धुँआ एहसास मिले हैं, शाम मिली है मद्धम सी
यादों की बारिश में धुल कर सुबह हुई है रेशम सी
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