मेरे हिस्से में गांव मिला

मैं तो गांवो में ही रह कर गांव से हरदम प्यार किया
प्रकृति प्रदत हवा जो मिलती उसी में हरदम सांस लिया
नहीं तीव्रतम चाल मै देखी चकाचौंध से दूर रहा
बंगला सुंदर नहीं है मेरा कच्चा सा मकान रहा
ना देखा पारक का कोना फूलों की क्यारी देखी हैं
घर के चारों ओर महकती हमने फुलवारी देखी हैं
देखी नहीं चमकती सड़कें गली अंधेरी देखी हैं
देखे नहीं शहर के कांटे गांव की कलियां देखी हैं
सुखद हमेशा बीता जीवन सपनों का संसार मिला
किसी के हिस्से शहर में आए हिस्से में मेरे गांव मिला
बिल्डिंग की छाया नहीं मिली वृक्षों का हरदम छांव मिला
नहीं भटकना अब शहरों में सुंदर सा मुझे गांव मिला

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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