मुस्कुराने से भला क्या दर्द कम हो जाएगा ।
देखना इन कहकहों का शोर नम हो जाएगा ।
मौत से डरते हैं हम तो इक सबब इसका भी है ।
मर गये तो इस जहां में फिर जनम हो जाएगा ।
सर पटक कर उम्र भर रोयी नदी ये सोच कर ।
कि सख़्त पत्थर का कलेजा कुछ नरम हो जाएगा ।
हादसे पूजाघरों में भी बहुत होने लगे ।
अब तो सजदे में किसी दिन सर क़लम हो जाएगा ।
आग जंगल की मुसलसल फैलती ही जा रही ।
आख़िरी पत्ता बचाना भी धरम हो जाएगा
ज़ख़्म सब नासूर बन कर रिस रहे हैं क्या फ़िक़्र ।
ज़ख़्म जो तुमने दिया है वो मरहम हो जाएगा ।
दोस्तों की दोस्ती औ दुश्मनी मत पूछिये ।
बेवजह लम्हात का लोहा गरम हो जाएगा ।
अपनी तारीफ़ें न अपने आप से करना कभी ।
आपका दर्पण भी इक दिन बेशरम हो जाएगा ।
परतराशी का ये कारोबार गर चलता रहा ।
वक़्त का ख़ामोश ख़ंजर बेरहम हो जाएगा ।
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