मुस्काती है

पुष्प पत्र सम मुस्काती है,

दिल को वो बहलाती है।

प्रेम कवि हूं मैं,

प्रेम मुझे सिखलाती है।।

जहां भी जाए,अदा दिखाए

अदा दिखा के ,

सबको अपना वो बनाती है।

पुष्प पत्र सम मुस्काती है……

राह चलती है जब

समां बंधती है तब।

राम कसम वो,

हर दिल को अज़ीज़ कर जाती है।

सुनो ना, प्लीज़ ये काम कर दो ना।

सारे काम हमसे वो करवाती है

ख्वाब तोड़ के सारे,

हैप्पी “रक्षाबंधन भइया ” कह जाती है।

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रचनाकार

Author

  • रंजीत गुप्ता "राही"

    रंजीत गुप्ता "राही" कवि, शायर,ज्ञानार्थी, शिक्षक। प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश। फोन-9170493847 Copyright@रंजीत गुप्ता "राही"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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