मुसलसल युद्ध चलता है कोई

मुसलसल युद्ध चलता है कोई घायल ज़ेहन में है ।

यूँ मैं ख़ामोश रहता हूँ मगर हलचल ज़ेहन में है ।

तुम आईं कभी घर में न तुमने दस्तकें दी हैं ।

तुम्हारे पाँव बजते हैं, तेरी पायल ज़ेहन में है ।

अकेला हूँ जनम से ही अकेले ही सफ़र काटा ।

मैं रहता हूँ शहर में यूं मगर जंगल ज़ेहन में है ।

समझदारी हमें अब तक कभी भी रास ना आई ।

हमेशा ही ये लगता है कोई पागल ज़ेहन में है ।

मैं पल में भीग जाता हूँ , मेरी आँखें बरसती हैं ।

मचलता अश्क़ छलकाता कोई बादल ज़ेहन में है ।

यूँ मैं भी आज में जीता हूँ औ ये ग़म भी ताज़ा है ।

ये दीग़र बात है गुज़रा हुआ हर पल ज़ेहन में है ।

मेरी सच्चाइयां हरदम महकती हैं मेरे दिल में ।

वही जो है शिवाले में , वही सन्दल ज़ेहन में है ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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