मिल गई जिसको जमी

मिल गई जिसको जमी आसमान पहुंचेगा

फूल कैसा भी हो हर हाल में ओ महकेगा
मिल गया जिसको सितारा हमेशा चमकेगा
दिल की गहराइयों में डूब कर के तुम देखो.
भरा जो प्रेम का दरिया कभी तो छलकेगा
फूल की एक-एक पंखुड़ी को जोड़ो तो
तेरा जीवन सदा फुलवारियो सा महकेगा
मिली दुआएं जितनी तुझको तेरे कर्मों से
जिंदगी में सदा ही अपना असर छोड़ेगा
तेरा जीवन ही इक रोज महल बन जाए
कर्म ही पूजा होती है अगर तू समझेगा
सारी खुशबू जगत में यदि बिखेरना चाहो
तेरे कर्मों से ही जीवन ये तेरा महकेगा
कोई ना रोक सके आसमा को छूने से
गर कदम अपने सदा ही जमी पे रखेगा

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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