मिलती नही है मंजिल

खाली हाथ रह जाता हूं मैं
मिलती नही है माजिल
बदनाम हो जाता हूं मैं
मिलती नही है मंजिल।

इस दुनिया में हमारा
क्या औकात रहा ?
हार जाता हूं अक्सर
मिलती नही मंजिल ।

सोचता हूं हम मासूम
इस जहां में कौन पूछेगा ?
मजबूर मैं बदनाम हूं
मिलती नही है मंजिल।

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रचनाकार

Author

  • नवेंदु कुमार वर्मा

    जिला गया( बिहार) 824205. Copyright@नवेंदु कुमार वर्मा/इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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