मान लेंगे वो बुरा तो मुस्कराना छोड़ दें
किस सबब उनकी जलन में गीत गाना छोड़ दें
अपना तो हर धर्म ईमां हर चलन है प्यार बस
वो नहीं गर चाहते तो दिल लगाना छोड़ दें
उनको है नफ़रत किसी से इस सबब से सिर्फ़ हम
क्यों किसी अपने के घर में यार जाना छोड़ दें
कैसे कर दें आरजू उनकी ये पूरी दोस्तो
उनकी तो चाहत है हम सारा जमाना छोड़ दें
बाँटते फिरते हैं वो नफ़रत का सामां हर तरफ़
हम क्यूँ अपने अपनों को अपना बनाना छोड़ दें
प्यार अपनापन वफ़ा तो नेमते हैं ईश की
राज कह दो वो खुदा को आजमाना छोड़ दें
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