मां में सारी देवी बसती हैं

सबसे पहले जगती है ,

बाद में सबसे सोती है।

मां ऐसी ही होती है

हां मां ऐसी ही होती है।

परिवार सदा खुशहाल रहे

सबपे रब का प्यार रहे।

नित मां ये दुआएं करती है….

खुशियां आंगन में वास करें

चेहरे पे सदा मुस्कान रहे।

मुस्कान सभी की सलामत रहे

सारे जतन वो करती है….

गौरी सीता को मैंने

देखा नहीं है सपने में।

ममता वाली मां में सारी देवी बसती हैं….

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रचनाकार

Author

  • रंजीत गुप्ता "राही"

    रंजीत गुप्ता "राही" कवि, शायर,ज्ञानार्थी, शिक्षक। प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश। फोन-9170493847 Copyright@रंजीत गुप्ता "राही"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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