माँ की जयकार(घनाक्षरी)

गांव गांव गली गली नगर चौराहे देखो,
हर दिशा मां की जयकार ही सुनाई है।
जिधर भी नजरें देखोगे उठाके उधर,
मातु दुरगे की भव्य मूरति सजाई है।
रखते उपवास,व्रत भक्त दिन-रात नौ,
सब पर मां ने देखो कृपा बरसाई है।
करो ना कल्याण हे!मां,सारे संसार का तुम,
चरणों में भक्तों ने मां अरजी लगाई है।।१।।

प्रथम दिवस नवरात्रि का है आज भक्तों,
मातु शैल पुत्री जी की आरती उतारिए।
दिवस द्वितीय भक्तों मातु ब्रम्हचारिणी जी,
आइए मां चंद्रघंटा कष्ट से निकारिए।
कुष्मांडा,स्कंदमाता, है कर जोर विनती ए,
धरती पे बढ़ रहे पाप को सम्हारिए।
सुनो मातु कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी,
सिद्धि से प्रसिद्धि देके कष्ट से उबारिए।।२।।

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रचनाकार

Author

  • बजरंगी लाल

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