मां की गोद है सबसे प्यारी,
इसकी तो है बात निराली ।
इसका अंचल कवज के जैसे,
दुआ से मिटती विपदा सारी ।।
शिशु बन कर आए अवतारी ।
इस जग को नाच नाचने वाले,
खुद ओखल में बंधे गिरधारी ।।
माता पिता को कांवर में बिठा कर,
दर्शन तीर्थों के, करता आज्ञाकारी ।
मात पिता को,जब प्यास लगी,
जल लेन गया था,वो हितकारी ।
आखेट के धोखे, बाण लगा और,
तो यूं बोला, श्रवण परोपकारी ।
मेरे मात पिता, प्यासे है वन में,
कुछ करो दया, हे धनुधारी ।।
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