माँ होती है
तब जा कर
एक वंश खानदान बनता है
बेटे बेटियों पर
सब कुछ वार दिया करती है
वंश का चिराग सजता है
कलियुग में बेटे बेटियां
गलत निकल सकते हैँ
लेकिन माँ का गलत
निकलना यदा कदा
ही हो सकता है
हिन्दू ने माँ को
जो ओहदे दिए
वह हिंदुस्तान के
दामन में सजते हैँ
तभी भारत माता हो
या गंगा माँ हो
हर एक के दिल में
ये रूप अमृत सा बस ता है
सेनाओं में जवान तिरंगे
और भारत माता के
लिए ही अपना जीवन रचता है
हर माँ को वंदन पहुंचे तभी
जीवन सार्थक लगता है
शहीदों की शहीदी का
भी तिलक रहेगा
इस तिलक में अमृत्व बसता है
माँ का आंचल दामन
छत्रछाया सा
सब पर रहे
इसमें ममत्व बसता है
जय हिन्द की धड़कनो में
भी माँ के लिए नाद बसता है
हर वंश खानदान हे माँ
तुझ से ही बाबस्ता है
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