पंडितजी मदन मोहन ने,
अंग्रेजी सत्ता को हिलाया था,
सत्यमेव जयते का नारा,
सत्य त्याग और देशभक्ति का,
अनूठा संयोग समाया था ।
मालवीय जी ने महामना की,
पुण्य उपाधि को पाया था ।।
ज्ञान और समाज को,
नव पथ दिखलाया था ।
हरि की पौड़ी पे गंगा आरती का,
चलन भी उन्होंने चलाया था,
देश प्रेम में मर मिटने का,
मन में दृढ़ संकल्प समाया था,
परतंत्र देश को स्वतंत्र करने का,
एक प्रण भी उन्होंने उठाया था ।।
अंग्रेजी हुकूमत को मालवीय,
फूटी आंख नही सुहाते थे ।
गरम दल और नरम दल में,
दोनो के मध्य संतुलन बनाते थे ।।
बनारस में विश्वविद्यालय का,
नव काया कल्प कराया था ।
शिक्षा जीवन में बहुत जरूरी,
ये सदा सबको बतलाया था ।।
आजादी के एक वर्ष पूर्व ही,
प्राणों को अपने त्याग दिया ।
स्वप्न आंखों में आजादी का लिए,
फिर स्वर्ग को प्रस्थान किया ।।
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