क्रान्ति-वेला की ललित ललकार है तुलसी
शारदा की बीन की झंकार है तुलसी ।
शील में देवापगा की लहर की मानिन्द
शक्ति में गर्जित जलधि की ज्वार है तुलसी ।
भक्ति-मधु का मधुप मनहर,ज्ञान का गौतम
काव्य कानन का बकुल ,कचनार है तुलसी।
राम के सम्मुख विनत , अति दीन-दुखियारा
दशानन के लिए यम का द्वार है तुलसी ।
लाल हुलसी का रतन रत्नावली का है
हंस ‘मानस ‘ का, निखिल का प्यार है तुलसी
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