महाकवि गो० तुलसी दास की पावन स्मृति को समर्पित एक ग़ज़ल –

क्रान्ति-वेला की ललित ललकार है तुलसी

शारदा की बीन की झंकार है तुलसी ।

शील में देवापगा की लहर की मानिन्द

शक्ति में गर्जित जलधि की ज्वार है तुलसी ।

भक्ति-मधु का मधुप मनहर,ज्ञान का गौतम

काव्य कानन का बकुल ,कचनार है तुलसी।

राम के सम्मुख विनत , अति दीन-दुखियारा

दशानन के लिए यम का द्वार है तुलसी ।

लाल हुलसी का रतन रत्नावली का है

हंस ‘मानस ‘ का, निखिल का प्यार है तुलसी

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रचनाकार

Author

  • डॉ रवीन्द्र उपाध्याय

    प्राचार्य (से.नि.),हिन्दी विभाग,बी.आर.ए.बिहार विश्वविद्यालय,मुजफ्फरपुर copyright@डॉ रवीन्द्र उपाध्याय इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है| इन रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है|

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