गोपियों संग कृष्ण ने रास रचाया,
झूम झूम के “मधुमास” है ,आया।
रंग गुलाल की उड़ रही फुहार,
प्रकृति ने भी साथ निभाया।
नई-नई कोपल, नया-नया मंजर।
भ्रमर का गुंजन कर रहा चंचल,
बच्चे बूढ़े सब पे नशा छाया
झूम झूम के “मधुमास” है आया।
नभ में छाई, बसंत की लाली,
पर क्यों रूठी बिरहनी मतवाली।
अमिया पे ,कोयल ने डोरा डाला,
चातक ने दृढ़ विश्वास है पाला।
होंगे एक दिन तेरे प्रिय पास,
निश्चित आएगा तेरा “मधुमास”।
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