मकर संक्रांति

कुहरा घना छाया हुआ है ,पर्व यह आया हुआ है
ठंडी हवा के झोंकों से, मन ये सकुचाया हुआ है
लग गई है भीड तट पर, जनसैलाब उमड़ने लगा है
लगा के डुबकी, गगा का ,जयघोष भी होने लगा है
पर्व पावन संक्रांति का सूर्य ,उत्तरायण हो रहा है
आज पूरा देश यह ,त्योहार खिचड़ी मना रहा है
हर जगह ही साधु संत डेरा हैं डाले हुए
अपनी अपनी कुटिया में एक प्रतीक हैं टागे हुए
विविध रंग का उनका झंडा पथ उनका दर्शा रहा
बनी हुई पगडंडियों से बढा मेला आ रहा
मार्ग संगम गेट यह राह सबको दर्शा रहा है
बच्चों के संग कोई अपनी दुकान ही फैला रहा है
कुछ खिलौने बच्चे के तो कुछ महिला के सिंगार की
कुछ खाने पीने की चीजें कुछ घर गृहस्ती दार की
हर हर गंगे का हर जगह हो रहा जयघोष है
भूले बिछड़े शिविर से भी हो रहा उद्घोष है
कोई बंसी कोई डमरु कोई ताशा बजा रहा
हर तरफ ही उत्साह का माहौल नजर आ रहा
नौकाये भी सुसज्जित जलविहार करा रही
पंडो की भी कतारें तिलक चंदन लगा रही|
रेत के ऊपर यहां पर पुवाल है बिछा हुआ
हर जगह पर पुलिस का पहरा है लगा हुआ
दान खिचड़ी का यहां सब लोग करते जा रहे हैं|
स्नान कर गंगा का सब आशीष ले घर जा रहे हैं

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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