अनुराग का बाग लगे हिरदयं
जिसमें नित झूल रहीं हैं बेटी।
नित नूतन कुसुमित पल्लवित हों
दुःख दर्द को भूल रहीं हैं बेटी ।।
बड़े भाग्य सानिध्य हैं प्राप्त प्रिये
हर स्थिति में अनुकूल हैं बेटी ।
जीवन का सबक सिखाने के हेतु
ये प्रतीत हुआ स्कूल हैं बेटी
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