बह गये हैं याद के घर वक़्त के सैलाब में

बह गये हैं याद के घर वक़्त के सैलाब में ।

झर गये सुरख़ाब के पर वक़्त के सैलाब में ।

मौन के पर्वत ठहाकों में कभी के पिस गये ।

सूखते ग़म के समंदर वक़्त के सैलाब में ।

फूल ख़ुशियों के नहीं झरते लबों की डाल से ।

हो गयी मुस्कान बंजर वक़्त के सैलाब में ।

आदमी ख़ुद ही विधाता बन गया इस दौर का ।

हो गये पत्थर भी शंकर वक़्त के सैलाब में ।

राजमहलों से निकल कर झौंपडों तक आ गया ।

शकुनियों का खेल चौसर वक़्त के सैलाब में ।

भेंट लहरों की चढ़े हैं नेह औ सम्मान सब ।

शील के बहते हैं ज़ेवर वक़्त के सैलाब में ।

मिट गये हैं नाम कितने रेत पर लिक्खे हुये ।

रह गये बेजान अक्षर वक़्त के सैलाब में ।

दोस्ती के मायने पीछे कहीं छूटे बहुत ।

बन गये हैं यार विषधर वक़्त के सैलाब में ।

Facebook
WhatsApp
Twitter
LinkedIn
Pinterest

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

Total View
error: Content is protected !!